Ved Itihas : आधुनिक भारत के इतिहास पर सामान्य अध्ययन की दृष्टि पर Focus करके बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर आए हैं| जैसा कि आप सभी छात्र छात्राएं जानते होंगे कि ‘सामान्य अध्ययन’ से अक्सर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत ज्यादा मात्रा में प्रश्न पूछे जाते हैं|
हमारी टीम इसी चीज को ध्यान में रखते हुए आप सभी के लिए “वेद इतिहास क्या है? Ved Itihas ki Puri jankari“ को आज लेकर आई है| जिससे अक्सर IAS, PCS, UPPCS, UPSSSC, UPSI, SSC Railway आदि परीक्षाओं में प्रश्न अवश्य ही पूछे जाते हैं| तो आज के हमारे Notes में हम VED Kya Hai? VED किसे कहते है? ved kitne prakar ke hote hai नीचे दिए गए लेख को ध्यानपूर्वक अवश्य ही पढ़ें !!
Ved Itihas वेद इतिहास क्या है?
इतिहासकार मानते हैं कि भारतीय राष्ट्रवाद ब्रिटिश उपनिवेशवादी नीतियों की प्रीत क्रिया प्रतिक्रिया का परिणाम है| भारतीय राष्ट्रवाद पर कुछ हद तक फ्रांसीसी क्रांति, भारतीय पुनजागरण, ब्रिटिश आधुनिकरण तथा जन असंतोष का प्रभाव था|
- सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन, आधुनिक समाचार पत्र, आधुनिक शिक्षा तथा इससे भी बढ़कर सरकार की प्रतिक्रियावादी नीति का भी योगदान माना जाता है| इतिहासकार लॉर्ड लिटन डिफरेंट एवं कर्जन की कठोर प्रतिक्रिया नीति को भी राष्ट्रवाद के लिए उत्तरदाई मानी जाती है|
- ऐसे समय जब नए भारत का उदय हो रहा था इसी बीच रिटायर्ड ब्रिटिश ICS अधिकारी ए.ओ. हयूम अवसर को भांपते हुए मुंबई में बुलाए गए एक अधिवेशन में 28 दिसंबर 1885 को 72 राजनीतिक इतिहासों के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया|
इतिहासकार इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना 1885 संगठित राष्ट्रीय आंदोलन का प्रारंभ मानते हैं| इसे निम्नलिखित तीन चरणों में भागों में किया गया है|
- 1885 से 1905 नरमपंथी (Moderate)
- 1905 से 1915 (गरमपंथी, लाल, बाल, पाल)
- 1915 से 1947 गांधी युग
कांग्रेस के 3 चरणों मेंमें सामान्यतः किस प्रकार हैं –
- ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति अहिंसक गतिविधियां
- तीनों चरणों में साम्राज्य सहयोग एवं समझौते की प्रवृत्ति दिखाई देती है|
- इन तीनों में स्वतंत्रा की स्पष्ट घोषणा का भाव दिखाई पड़ता है|
कांग्रेस ने बहुत बाद में जाकर (नेहरू के नेतृत्व में 1929) पूर्ण स्वराज की घोषणा की| इन तीनों विचारधाराओं को संवैधानिक आंदोलन याद जन आंदोलन की संज्ञा दी जाती है| किंतु पूर्णतय: अहिंसा के माध्यम से जड़ से उखाड़ फेंकने वाले आंदोलन को क्रांतिकारी andolan कहा जाता है|
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राष्ट्रीय आंदोलन
राष्ट्रीय आंदोलन में मुस्लिम लीग (स्थापित 1906) जैसे ब्रिटिश कोशिश सांप्रदायिक संगठन की भूमिका हो या किसान मजदूर या समाजवादी संगठन की सभी अपने बदलते उद्देश्य के साथ अंतत: ब्रिटिश राज से मुक्ति चाहते थे|
- कांग्रेस की सरकार इतिहासकार : पट्टाभि सीतारमैया के शब्द में कांग्रेस के नरमपंथी चरणों की भूमिका वही रही जो किसी भवन में नींव की होती है|
- उदारवादी चरण (1885 से 1905) : कांग्रेस के नेतृत्व में इन 20 वर्षों में, समानता पर आधारित न्याय तथा ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर शासन प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी प्राप्त करना उत्तरदाई का मुख्य लक्ष्य था| इसी दौर में कांग्रेस की नीति उदारवाद संयम एवं संवैधानिक तरीकों से ब्रिटिश क्राउन के प्रति निर्देशित करते हुए समराज्य से प्रार्थना, योजना एवं ज्ञापन के द्वारा रियासतों का प्राप्त करना था|
1886 के कोलकाता अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष दादाभाई नौरोजी ने यह नारा दिया, ” आओ, हम पुरुषों की तरह मिलकर घोषणा कर दें कि हम पूर्णतय: राजभक्त है”| इसी अधिवेशन में गवर्नर जनरल लॉर्ड डफरिन द्वारा टी- गार्डन पार्टी भी दी गई | सीधे कांग्रेस एवं ब्रिटिश सरकार के प्रारंभिक संबंध घनिष्ठ थे| हां यह अवश्य सत्य है कि इलाहाबाद अधिवेशन 1888 से (अध्यक्ष जाज्र यूले) यह संबंध बिगड़ते गए तथा कांग्रेस अब राजभक्त से राष्ट्रवाद के पथ पर बढ़ती चली गई|
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Vedic Itihas Exam Point Question
Ved itihas se Exam me puche gaye Question जो आपके परीक्षा उपयोगी है :-
- मुख्य नरमपंथी नेता थे – दादाभाई नौरोजी, सुरेंद्रनाथ नौरोजी, गोपाल कृष्णा गोखले, फिरोजशाह मेहता
- नरमपंथी ब्रिटिश राज्य में पूर्ण निष्ठा के साथ प्रशासन में भागीदारी एवं समानता पर आधारित व्यवहार चाहते थे|
- इनके कार्यप्रणाली प्रार्थना पत्र, ज्ञापन एवं ब्रिटिश राज्य से सहयोग थी|
- गरमपंथी नेता थे – लाल, बाल, पाल, अरविंद घोष, बंकिमचंद्र चटर्जी|
- नरमपंथी की तरह ब्रिटिश राज्य में विश्वास किंतु कार्य पद्धति दबाव, स्वदेशी, बहिष्कार निंदा जन आंदोलन आदि की थी|
- गरमपंथी के नेता तिलक थे|
- उन्होंने वेलेंटाइन शिरोल में भारतीय अशांति का जनक माना|
- डिफरेंट में कांग्रेस को सूक्ष्मदर्शी अल्पसंख्यक संस्था कहा था|
- कर्जन की टिप्पणी थी कि कांग्रेस लड़खड़ा रही है तथा मृत्यु की ओर बढ़ रही है
- भारत में रहते हुए मेरी इच्छा इसके शांतिपूर्ण दफन में है|
- कांग्रेस की प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष बदुरुहीन बाबाजी प्रथम महिला अध्यक्ष एनी बेसेन्ट, सबसे युवा अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, आजादी के समय आचार्य कृपलानी थे
- कांग्रेस शब्द की प्रेरणा अमेरिका कांग्रेस से ली गई है जबकि 1886 में कोलकाता अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी की सुझाव पर इसका नामकरण किया गया था|
- कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट 1917 की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू (1925) थी|
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